बीजिंग: चीन की ओर से अफगान तालिबान और पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधारने में मदद की जा रही है। चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों से बीजिंग में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की मुलाकात हुई है। हाल ही में भारत ने काबुल में तालिबान सरकार के साथ अपने संबंधों को बेहतर करने पर काम किया है। इस घटनाक्रम के बाद चीन ने तालिबान पर दबाव बढ़ाया है कि वो पाकिस्तान से संबंध ठीक करे। ऐसे में पाकिस्तान के विदेश मंत्री के बीजिंग रहते हुए तालिबान के अमीर खान मुत्तकी ने चीन का दौरा किया है। चीन की इस दखल के बाद CPEC का विस्तार भी अफगानिस्तान तक किया जा सकता है।
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों ने बैठक के बाद इस बात पर सहमति बनी है कि वे क्षेत्र के देशों के आंतरिक मामलों में बाहरी ताकतों के हस्तक्षेप के खिलाफ सतर्क रहेंगे। बैठक में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को अफगानिस्तान तक बढ़ाने की गति को तेज करने पर भी सहमति जताई। भारत के लिए ये एक झटके की तरह है क्योंकि भारत CPEC परियोजना का विरोध करता है क्योंकि यह पीओके से होकर गुजरती है।
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से फोन पर बात करने और पहलगाम हमले की कड़ी निंदा करने के एक हफ्ते से भी कम समय में तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी बीजिंग पहुंचे हैं। बीजिंग में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने उनकी पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार से मुलाकात कराई है। मुत्तकी और डार ने इस्लामाबाद और काबुल में एक-दूसरे के राजदूतों को नियुक्त करने पर सहमति जता दी है। यानी दोनों देश अब संबंधों को ठीक करेंगे।
पाकिस्तान ने अगस्त 2021 में काबुल में तालिबान की सत्ता में वापसी का स्वागत किया था लेकिन हालिया समय में इस्लामाबाद और काबुल के संबंध बिगड़ गए । तालिबान का रुख कुछ समय से पाकिस्तान के बजाय भारत की तरफ दिखा है। अब चीन काबुल में अपने प्रभाव का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान और अफगानिस्तान को करीब लाता दिख रहा है, जिससे क्षेत्र में भारत के लिए परेशानी खड़ी हो और उसका दबदबा बढ़े।
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों ने बैठक के बाद इस बात पर सहमति बनी है कि वे क्षेत्र के देशों के आंतरिक मामलों में बाहरी ताकतों के हस्तक्षेप के खिलाफ सतर्क रहेंगे। बैठक में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को अफगानिस्तान तक बढ़ाने की गति को तेज करने पर भी सहमति जताई। भारत के लिए ये एक झटके की तरह है क्योंकि भारत CPEC परियोजना का विरोध करता है क्योंकि यह पीओके से होकर गुजरती है।
चीन ने मुत्तकी पर बनाया दबाव
चीनी विदेश मंत्री ने तालिबान को बाहरी हस्तक्षेप के प्रति सतर्क रहने के लिए आगाह किया। हालांकि उनकी ओर से किसी देश का नाम नहीं लिया गया लेकिन बाहरी हस्तक्षेप का संदर्भ साफतौर पर भारत की ओर इशारा करता है। चीन के इस कदम से दिल्ली की तालिबान सरकार से संबंध बेहतर करने की कोशिश को झटका लग सकता है।भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से फोन पर बात करने और पहलगाम हमले की कड़ी निंदा करने के एक हफ्ते से भी कम समय में तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी बीजिंग पहुंचे हैं। बीजिंग में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने उनकी पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार से मुलाकात कराई है। मुत्तकी और डार ने इस्लामाबाद और काबुल में एक-दूसरे के राजदूतों को नियुक्त करने पर सहमति जता दी है। यानी दोनों देश अब संबंधों को ठीक करेंगे।
CPEC पर भी बड़ा फैसला
मुत्तकी, डार और वांग ने CPEC का अफगानिस्तान तक विस्तारित करने और क्षेत्रीय अंतर-कनेक्शन नेटवर्क के निर्माण को मजबूत करने पर सहमति जताई। भारत ने CPEC के पीओके से गुजरने की वजह से इसे भारत की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन बताते हुए विरोध किया है। CPEC 2.0 चीन को ना केवल पाकिस्तान बल्कि अफगानिस्तान में भी अपने पैर जमाने की अनुमति दे सकता है, जो भारत के लिए गंभीर रणनीतिक चुनौती पेश करेगा।पाकिस्तान ने अगस्त 2021 में काबुल में तालिबान की सत्ता में वापसी का स्वागत किया था लेकिन हालिया समय में इस्लामाबाद और काबुल के संबंध बिगड़ गए । तालिबान का रुख कुछ समय से पाकिस्तान के बजाय भारत की तरफ दिखा है। अब चीन काबुल में अपने प्रभाव का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान और अफगानिस्तान को करीब लाता दिख रहा है, जिससे क्षेत्र में भारत के लिए परेशानी खड़ी हो और उसका दबदबा बढ़े।