कोलकाता: पश्चिम बंगाल पुलिस ने मुर्शिदाबाद के जाफराबाद में अप्रैल में हुई हिंसा के दौरान पिता-पुत्र की हत्या के मामले में 13 लोगों के खिलाफ शुक्रवार को आरोप-पत्र दाखिल किया। जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इसकी पुष्टि की। वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर जिले में हुए विरोध प्रदर्शनों के सिलसिले में धुलियान-सुती-शमशेरगंज में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान 11 अप्रैल को हरगोबिंदो दास (74) और उनके बेटे चंदन दास (40) की हत्या कर दी गई थी। मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर राज्य में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी काफी आक्रामक है। मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद राज्यपाल सीवी आनंद बोस भी दौरे पर गए थे। हिंसा के काफी दिन बाद ममता बनर्जी वहां पहुंची थीं। तब उन्होंने लोगों से मुलाकात की थी।
केंद्रीय बलों की हुई थी तैनाती
हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे, इसके अलावा सैकड़ों लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। आठ से 12 अप्रैल तक चली अशांति के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया गया था। इसके बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती का आदेश दिया था। अधिकारी ने कहा कि हमने अपराध के 55 दिन के अंदर जिला अदालत के समक्ष आरोप-पत्र दाखिल कर दिया है और इसमें 13 लोगों के नाम हैं।’ हाल ही में पीएम मोदी जब पश्चिम बंगाल के दौरे पर गए थे। तो उन्होंने मुर्शिदाबाद की हिंसा पर राज्य सरकार को घेरा था। पीएम मोदी ने टीएमसी के नेताओं पर भी हमला बोला था। बंगाल में अगले साल की चुनाव होने हैं। ऐसे में मुर्शिदाबाद का मामला सत्तारूढ़ टीएमसी के लिए परेशानी बन सकता है।
300 से अधिक उपद्रवी हुए थे अरेस्ट
हिंसा के बाद पुलिस ने मुर्शिदाबाद के विभिन्न थानों में दर्ज 60 से अधिक प्राथमिकियों के सिलसिले में 300 से अधिक संदिग्ध उपद्रवियों को गिरफ्तार किया था। बेटबोना गांव में दास परिवार के घर को निशाना बनाया गया था। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, हमलावरों ने मुख्य दरवाजा तोड़कर चंदन दास और हरगोबिंदो दास को बाहर निकाला और उनकी पीठ पर कुल्हाड़ी से वार किया। बताया जाता है कि एक व्यक्ति उनकी मौत होने तक वहीं रहा। हालांकि आरोप पत्र में नामजद लोगों और उनपर लगाई गई धाराओं का विवरण तुरंत स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन हाई कोर्ट द्वारा गठित एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता और धुलियान नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष महबूब आलम को हमले का मुख्य आरोपी बताया था। टीम ने 21 मई को हाईकोर्ट के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए राज्य पुलिस की 'निष्क्रियता और अनुपस्थिति' का भी उल्लेख किया था। टीम ने कहा था कि हिंसा के दौरान वर्दीधारी पुलिसकर्मियों ने स्थानीय लोगों के फोन कॉल का जवाब नहीं दिया। टीम ने रिपोर्ट में कहा कि 'बेटबोना गांव में 113 घर बुरी तरह प्रभावित हुए', जिनमें से कई में आग लगा दी गई।
केंद्रीय बलों की हुई थी तैनाती
हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे, इसके अलावा सैकड़ों लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। आठ से 12 अप्रैल तक चली अशांति के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया गया था। इसके बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती का आदेश दिया था। अधिकारी ने कहा कि हमने अपराध के 55 दिन के अंदर जिला अदालत के समक्ष आरोप-पत्र दाखिल कर दिया है और इसमें 13 लोगों के नाम हैं।’ हाल ही में पीएम मोदी जब पश्चिम बंगाल के दौरे पर गए थे। तो उन्होंने मुर्शिदाबाद की हिंसा पर राज्य सरकार को घेरा था। पीएम मोदी ने टीएमसी के नेताओं पर भी हमला बोला था। बंगाल में अगले साल की चुनाव होने हैं। ऐसे में मुर्शिदाबाद का मामला सत्तारूढ़ टीएमसी के लिए परेशानी बन सकता है।
300 से अधिक उपद्रवी हुए थे अरेस्ट
हिंसा के बाद पुलिस ने मुर्शिदाबाद के विभिन्न थानों में दर्ज 60 से अधिक प्राथमिकियों के सिलसिले में 300 से अधिक संदिग्ध उपद्रवियों को गिरफ्तार किया था। बेटबोना गांव में दास परिवार के घर को निशाना बनाया गया था। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, हमलावरों ने मुख्य दरवाजा तोड़कर चंदन दास और हरगोबिंदो दास को बाहर निकाला और उनकी पीठ पर कुल्हाड़ी से वार किया। बताया जाता है कि एक व्यक्ति उनकी मौत होने तक वहीं रहा। हालांकि आरोप पत्र में नामजद लोगों और उनपर लगाई गई धाराओं का विवरण तुरंत स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन हाई कोर्ट द्वारा गठित एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता और धुलियान नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष महबूब आलम को हमले का मुख्य आरोपी बताया था। टीम ने 21 मई को हाईकोर्ट के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए राज्य पुलिस की 'निष्क्रियता और अनुपस्थिति' का भी उल्लेख किया था। टीम ने कहा था कि हिंसा के दौरान वर्दीधारी पुलिसकर्मियों ने स्थानीय लोगों के फोन कॉल का जवाब नहीं दिया। टीम ने रिपोर्ट में कहा कि 'बेटबोना गांव में 113 घर बुरी तरह प्रभावित हुए', जिनमें से कई में आग लगा दी गई।