प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ में एक मस्जिद के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने के आरोपी दो व्यक्तियों को जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने सचिन सिरोही और संजय समरवाल की जमानत की अर्जी मंजूर कर दी।
अभियोजन के मुताबिक, ये याचिकाकर्ता कुछ अन्य लोगों के साथ अन्य धर्म से जुड़े एक धार्मिक स्थल के बाहर जबरदस्ती हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे थे। इस तरह से वे धर्म के आधार पर वैमनस्य और घृणा को बढ़ावा दे रहे थे।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि वे निर्दोष हैं और इन्हें राजनीतिक रंजिश के चलते इस मामले में झूठा फंसाया गया है। इसके अलावा याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई विश्वसनीय साक्ष्य नहीं हैं।
राज्य सरकार के वकील ने हालांकि जमानत याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोप है कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए ये मुस्लिम समुदाय से जुड़े धार्मिक स्थल में हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे थे।
उन्होंने यह दलील भी दी कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ लगाए गए इन आरोपों को देखते हुए वे जमानत के पात्र नहीं हैं। हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिए अपने आदेश में कहा कि मौजूदा मामले में संबंधित पक्षों की दलीलों पर विचार करते हुए आरोपों की प्रकृति और कारावास की अवधि को देखते हुए जमानत का मामला बनता है। इस तरह से जमानत की अर्जी स्वीकार की जाती है।
अभियोजन के मुताबिक, ये याचिकाकर्ता कुछ अन्य लोगों के साथ अन्य धर्म से जुड़े एक धार्मिक स्थल के बाहर जबरदस्ती हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे थे। इस तरह से वे धर्म के आधार पर वैमनस्य और घृणा को बढ़ावा दे रहे थे।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि वे निर्दोष हैं और इन्हें राजनीतिक रंजिश के चलते इस मामले में झूठा फंसाया गया है। इसके अलावा याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई विश्वसनीय साक्ष्य नहीं हैं।
राज्य सरकार के वकील ने हालांकि जमानत याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोप है कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए ये मुस्लिम समुदाय से जुड़े धार्मिक स्थल में हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे थे।
उन्होंने यह दलील भी दी कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ लगाए गए इन आरोपों को देखते हुए वे जमानत के पात्र नहीं हैं। हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिए अपने आदेश में कहा कि मौजूदा मामले में संबंधित पक्षों की दलीलों पर विचार करते हुए आरोपों की प्रकृति और कारावास की अवधि को देखते हुए जमानत का मामला बनता है। इस तरह से जमानत की अर्जी स्वीकार की जाती है।