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Pune Porsche Accident: पुणे पोर्श कार एक्सीडेंट केस में बड़ा ऐक्शन, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के 2 सदस्यों की सेवा समाप्त

Curated by: सुजीत उपाध्याय|नवभारतटाइम्स.कॉम

Porsche Car Accident Case: महाराष्ट्र सरकार ने पुणे पोर्शे कार दुर्घटना मामले में अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने के आरोप में बाल न्याय बोर्ड के दो सदस्यों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। इस मामले में जांच के बाद डॉ लक्ष्मण नेमा दनवड़े और कविता तुलसीराम थोराट को दोषी पाया गया और उनके नियुक्ति को रद्द कर दिया गया।

हाइलाइट्स

  • दो जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड सदस्यों डॉ. लक्ष्मण नेमा दानवड़े और कविता तुलसीराम थोराट बर्खास्त
  • पुलिस ने नाबालिग को बाल सुधार गृह भेजने की मांग की थी, लेकिन जुवेनाइल बोर्ड ने दी थी जमानत
  • महिला एवं बाल विकास विभाग ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्यों के खिलाफ जांच शुरू की थी
Pune Porsche Accident.
(फोटो- नवभारतटाइम्स.कॉम)
पुणे: महाराष्ट्र सरकार ने पुणे में हुई पोर्शे कार दुर्घटना मामले में दो जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) सदस्यों को बर्खास्त कर दिया है। डॉ लक्ष्मण नेमा दानवड़े और कविता तुलसीराम थोराट पर आरोप है कि उन्होंने इस मामले में अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया। यह घटना 19 मई को घटी थी जब एक 17 साल के नाबालिग ने शराब के नशे में तेज रफ़्तार पोर्शे कार चलाते हुए दो IT इंजीनियरों की जान ले ली थी।
क्या है पूरा मामला?
घटना 19 मई को तड़के करीब 2.30 बजे पुणे के कल्याणी नगर जंक्शन पर के पास हुई। 17 साल के नाबालिग ने शराब के नशे में धुत होकर तेज रफ्तार पोर्शे कार चलाई। इस दौरान कार ने दो IT इंजीनियरों अनीश अवधिया और उनके दोस्त अश्विनी कोष्टा (दोनों मध्य प्रदेश के रहने वाले) को टक्कर मार दी थी। इससे दोनों की मौत हो गई। उसी दिन नाबालिग कार चालक के खिलाफ येरवडा पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई। पुलिस ने नाबालिग को हिरासत में लेकर दोपहर में पुणे की JJB के सामने पेश किया।

किस बात पर बढ़ा मामला?
पुलिस ने नाबालिग को बाल सुधार गृह भेजने की मांग की थी और उसे वयस्क मानकर मुकदमा चलाने की भी अपील की थी। लेकिन JJB में एक न्यायिक सदस्य के बजाय केवल एक गैर-न्यायिक सदस्य दानवड़े ने पुलिस के आवेदनों को खारिज कर दिया और आरोपी को कई शर्तों पर जमानत दे दी। इसमें सड़क दुर्घटनाओं पर 300 शब्दों का निबंध लिखना, यातायात सुरक्षा नियमों का अध्ययन करना और नशा मुक्ति परामर्श लेना शामिल था।

सरकार की जांच में निकले दोषी
इससे एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया। इसके बाद सरकार ने JJB सदस्यों के खिलाफ जांच शुरू कर दी। राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) ने पांच सदस्यीय जांच समिति नियुक्त की क्योंकि उसे प्रथम दृष्टया यह पता चला था कि JJB के सदस्य ने नाबालिग को जल्दबाजी में जमानत दे दी थी। 8 अक्टूबर को जारी WCD की अधिसूचना में उल्लेख किया गया है कि जांच के बाद दानवड़े और कविता तुलसीराम थोराट को जुवेनाइल जस्टिस (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत निहित अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया है।

दोनों को सेवा समाप्त2 मई 2022 को एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार, दोनों को तीन साल की अवधि के लिए JJB के समाजसेवी सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था। अब जांच में दोषी पाए जाने के बाद सरकार ने इस अधिसूचना में संशोधन किया है और दानवड़े और थोराट की नियुक्तियों को समाप्त कर दिया है। 8 अक्टूबर को सरकार के उप सचिव ए एन भोंडवे ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की।
सुजीत उपाध्याय
लेखक के बारे में
सुजीत उपाध्याय
सुजीत उपाध्याय ने एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी श्रीनगर, उत्तराखंड से एमए इन मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद ह‍िन्‍दुस्‍तान और दैन‍िक जागरण मेंं बतौर र‍िपोर्टर काम क‍िया। ज़ी मीड‍िया से ड‍िज‍िटल में शुरुआत। इंड‍िया डॉट कॉम ह‍िंंदी में दो साल काम करने के बाद नवभारत टाइम्‍स ऑनलाइन से जुड़े।... और पढ़ें
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