इंदौर: इंदौर के ट्रांसपोर्ट व्यवसायी राजा रघुवंशी की मेघालय में हनीमून के दौरान बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। राजा के बड़े भाई सचिन रघुवंशी ने सोनम और उसके लवर राज कुशवाह का नार्को एनालिसिस टेस्ट कराने की मांग की है। सचिन का कहना है कि इससे इस चौंकाने वाले अपराध के पीछे का पूरा सच सामने आ जाएगा।
बता दें कि राजा रघुवंशी (29) की हत्या के मुख्य आरोपी उसकी पत्नी सोनम (25) और उसका लवर राज कुशवाहा (20) हैं। दोनों मेघालय पुलिस की हिरासत में हैं। उनके साथ तीन अन्य आरोपियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। राज्य पुलिस ने इस मामले की गहराई से जांच करने के लिए एक SIT का गठन किया है। यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है।
राजा के भाई ने की नार्को टेस्ट की मांग
राजा के बड़े भाई सचिन रघुवंशी ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि मेघालय पुलिस सोनम और राज कुशवाह का नार्को टेस्ट कराए ताकि मेरे भाई की हत्या का पूरा सच सामने आ सके। सचिन का कहना है कि दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगाकर जांच को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
सोनम और राज जांच को गलत दिशा में ले जा रहे
सचिन ने कहा, "ऐसा लगता है कि सोनम और राज कुशवाह जांच को गलत दिशा में ले जाने के लिए मिलीभगत कर रहे हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि दोनों अकेले इस हत्या की साजिश को अंजाम नहीं दे सकते थे। उनका मानना है कि "साजिश में और भी लोग शामिल हैं, लेकिन वे अभी भी पुलिस की पहुंच से बाहर हैं। नार्को एनालिसिस टेस्ट के जरिए उनके नाम सामने आ सकते हैं।" सचिन ने यह भी आग्रह किया कि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होनी चाहिए और दोषियों को "दोहरी आजीवन कारावास" की सजा दी जानी चाहिए।
सोनम की मां पर सचिन ने लगाया आरोप
सचिन ने यह भी आरोप लगाया कि सोनम की मां को शादी से पहले ही अपनी बेटी के राज कुशवाह के साथ संबंध के बारे में पता हो सकता है। राजा ने 11 मई को सोनम से शादी की थी। इसके कुछ दिनों बाद, वे हनीमून के लिए मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के सोहरा (चेरापूंजी) गए थे। 23 मई को उनके लापता होने की सूचना मिली थी। राजा का शव 2 जून को वेइसवडोंग जलप्रपात के पास एक खाई से बरामद किया गया था। सोनम 9 जून को गाजीपुर, उत्तर प्रदेश में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। गाजीपुर मेघालय से लगभग 1,200 किलोमीटर दूर है।
शिलांग एसपी ने किया खुलासा
पूर्वी खासी हिल्स के पुलिस अधीक्षक विवेक सिएम ने पहले पुष्टि की थी कि हत्या की योजना शादी से पहले इंदौर में बनाई गई थी। उन्होंने कहा था, "राजा रघुवंशी को खत्म करने की साजिश 11 मई को सोनम के साथ उनकी शादी से ठीक पहले इंदौर में रची गई थी, और इसका मास्टरमाइंड राज कुशवाह है, जबकि महिला साजिश के लिए राजी हो गई थी।"
नार्को टेस्ट क्या होता है?
नार्को टेस्ट, जिसे ट्रुथ सीरम टेस्ट भी कहा जाता है। इसमें सोडियम पेंटोथल नामक एक दवा को व्यक्ति के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। यह दवा उसे एक कृत्रिम निद्रावस्था की स्थिति में ले जाती है। यह स्थिति उसकी कल्पना को निष्क्रिय कर देती है, जिससे वह किसी भी घटना के बारे में सच्ची जानकारी प्रकट करता है। सरल शब्दों में, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति को एक ऐसी दवा दी जाती है जो उसे सच बोलने के लिए अधिक प्रवृत्त करती है। यह दवा मस्तिष्क के उन हिस्सों को धीमा कर देती है जो झूठ बोलने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
इस टेस्ट का इस्तेमाल अक्सर आपराधिक जांच में किया जाता है ताकि आरोपियों से जानकारी निकाली जा सके। हालांकि, इस टेस्ट के परिणामों को अदालत में सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह माना जाता है कि यह पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं है। कई बार, दवा के प्रभाव में होने पर भी लोग झूठ बोल सकते हैं या गलत जानकारी दे सकते हैं।
नार्को टेस्ट को लेकर कई नैतिक और कानूनी सवाल भी उठाए जाते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह टेस्ट व्यक्ति की निजता का उल्लंघन है और इसे केवल असाधारण परिस्थितियों में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि यह टेस्ट अपराधों को सुलझाने और न्याय दिलाने में मददगार हो सकता है।
बता दें कि राजा रघुवंशी (29) की हत्या के मुख्य आरोपी उसकी पत्नी सोनम (25) और उसका लवर राज कुशवाहा (20) हैं। दोनों मेघालय पुलिस की हिरासत में हैं। उनके साथ तीन अन्य आरोपियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। राज्य पुलिस ने इस मामले की गहराई से जांच करने के लिए एक SIT का गठन किया है। यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है।
राजा के भाई ने की नार्को टेस्ट की मांग
राजा के बड़े भाई सचिन रघुवंशी ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि मेघालय पुलिस सोनम और राज कुशवाह का नार्को टेस्ट कराए ताकि मेरे भाई की हत्या का पूरा सच सामने आ सके। सचिन का कहना है कि दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगाकर जांच को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।सोनम और राज जांच को गलत दिशा में ले जा रहे
सचिन ने कहा, "ऐसा लगता है कि सोनम और राज कुशवाह जांच को गलत दिशा में ले जाने के लिए मिलीभगत कर रहे हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि दोनों अकेले इस हत्या की साजिश को अंजाम नहीं दे सकते थे। उनका मानना है कि "साजिश में और भी लोग शामिल हैं, लेकिन वे अभी भी पुलिस की पहुंच से बाहर हैं। नार्को एनालिसिस टेस्ट के जरिए उनके नाम सामने आ सकते हैं।" सचिन ने यह भी आग्रह किया कि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होनी चाहिए और दोषियों को "दोहरी आजीवन कारावास" की सजा दी जानी चाहिए।सोनम की मां पर सचिन ने लगाया आरोप
सचिन ने यह भी आरोप लगाया कि सोनम की मां को शादी से पहले ही अपनी बेटी के राज कुशवाह के साथ संबंध के बारे में पता हो सकता है। राजा ने 11 मई को सोनम से शादी की थी। इसके कुछ दिनों बाद, वे हनीमून के लिए मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के सोहरा (चेरापूंजी) गए थे। 23 मई को उनके लापता होने की सूचना मिली थी। राजा का शव 2 जून को वेइसवडोंग जलप्रपात के पास एक खाई से बरामद किया गया था। सोनम 9 जून को गाजीपुर, उत्तर प्रदेश में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। गाजीपुर मेघालय से लगभग 1,200 किलोमीटर दूर है।शिलांग एसपी ने किया खुलासा
पूर्वी खासी हिल्स के पुलिस अधीक्षक विवेक सिएम ने पहले पुष्टि की थी कि हत्या की योजना शादी से पहले इंदौर में बनाई गई थी। उन्होंने कहा था, "राजा रघुवंशी को खत्म करने की साजिश 11 मई को सोनम के साथ उनकी शादी से ठीक पहले इंदौर में रची गई थी, और इसका मास्टरमाइंड राज कुशवाह है, जबकि महिला साजिश के लिए राजी हो गई थी।"नार्को टेस्ट क्या होता है?
नार्को टेस्ट, जिसे ट्रुथ सीरम टेस्ट भी कहा जाता है। इसमें सोडियम पेंटोथल नामक एक दवा को व्यक्ति के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। यह दवा उसे एक कृत्रिम निद्रावस्था की स्थिति में ले जाती है। यह स्थिति उसकी कल्पना को निष्क्रिय कर देती है, जिससे वह किसी भी घटना के बारे में सच्ची जानकारी प्रकट करता है। सरल शब्दों में, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति को एक ऐसी दवा दी जाती है जो उसे सच बोलने के लिए अधिक प्रवृत्त करती है। यह दवा मस्तिष्क के उन हिस्सों को धीमा कर देती है जो झूठ बोलने के लिए जिम्मेदार होते हैं।इस टेस्ट का इस्तेमाल अक्सर आपराधिक जांच में किया जाता है ताकि आरोपियों से जानकारी निकाली जा सके। हालांकि, इस टेस्ट के परिणामों को अदालत में सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह माना जाता है कि यह पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं है। कई बार, दवा के प्रभाव में होने पर भी लोग झूठ बोल सकते हैं या गलत जानकारी दे सकते हैं।
नार्को टेस्ट को लेकर कई नैतिक और कानूनी सवाल भी उठाए जाते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह टेस्ट व्यक्ति की निजता का उल्लंघन है और इसे केवल असाधारण परिस्थितियों में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि यह टेस्ट अपराधों को सुलझाने और न्याय दिलाने में मददगार हो सकता है।