हैदराबाद: आंध्र प्रदेश, जिसने कभी पंचायत और नगरपालिका चुनावों में दो से अधिक बच्चों वाले उम्मीदवारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून में संशोधन किया था, अब घटती प्रजनन दर से निपटने के लिए नई नीति अपनाने जा रहा है। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई में सरकार अब जनसंख्या वृद्धि को 'मानव पूंजी में निवेश' मानकर बड़े परिवारों को प्रोत्साहित करने की रणनीति बना रही है। मुख्यमंत्री नायडू ने कहा है कि राज्य सरकार अब परिवार को एक इकाई मानकर आर्थिक सहायता देने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि बड़े परिवारों को अधिक प्रोत्साहन दिया जा सकता है, ताकि घटती प्रजनन दर को संतुलित किया जा सके।
अमीर गोद लेंगे गरीब परिवार
नायडू ने 'शून्य गरीबी' (Zero Poverty) पहल के अंतर्गत एक अभिनव मॉडल की शुरुआत की है, जिसमें आर्थिक रूप से सशक्त लोग गरीब परिवारों को गोद लेंगे। इससे न केवल सामाजिक समानता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पूरे परिवार के कल्याण की भी गारंटी होगी। राज्य सरकार ने महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश की सीमा समाप्त कर दी है। पहले यह सुविधा केवल दो बार तक ही सीमित थी। मुख्यमंत्री ने बताया कि अब महिलाएं कितनी भी बार मातृत्व अवकाश ले सकती हैं। हमने इस पर से सभी प्रतिबंध हटा दिए हैं।
कार्यस्थलों पर अनिवार्य होंगे शिशु देखभाल केंद्र
राज्य सरकार ने सभी संगठनों को कार्यस्थलों पर चाइल्ड केयर सेंटर्स (शिशु देखभाल केंद्र) स्थापित करना अनिवार्य कर दिया है, ताकि कामकाजी माताओं को बच्चों की देखभाल में सहायता मिल सके। प्रत्येक स्कूली बच्चे के लिए 15,000 रुपये की राशि सीधे उसकी मां को प्रदान की जाएगी। यह सहायता शिक्षा को बढ़ावा देने और परिवारों को आर्थिक सहारा देने के उद्देश्य से दी जा रही है।
दो-बच्चों की नीति को किया गया खत्म
राज्य में पहले पंचायत और नगरपालिका चुनावों में दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को अयोग्य माना जाता था। अब यह नीति रद्द कर दी गई है और अधिक बच्चों वाले परिवारों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। 2023 में सिक्किम सरकार ने स्वदेशी लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहन की घोषणा की थी। मिजोरम भी आदिवासी जोड़ों को दो से अधिक बच्चों के लिए प्रेरित कर रहा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी जनसंख्या-आधारित निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की संभावना के चलते जनसंख्या वृद्धि पर बल दिया है।
अमीर गोद लेंगे गरीब परिवार
नायडू ने 'शून्य गरीबी' (Zero Poverty) पहल के अंतर्गत एक अभिनव मॉडल की शुरुआत की है, जिसमें आर्थिक रूप से सशक्त लोग गरीब परिवारों को गोद लेंगे। इससे न केवल सामाजिक समानता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पूरे परिवार के कल्याण की भी गारंटी होगी। राज्य सरकार ने महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश की सीमा समाप्त कर दी है। पहले यह सुविधा केवल दो बार तक ही सीमित थी। मुख्यमंत्री ने बताया कि अब महिलाएं कितनी भी बार मातृत्व अवकाश ले सकती हैं। हमने इस पर से सभी प्रतिबंध हटा दिए हैं।
कार्यस्थलों पर अनिवार्य होंगे शिशु देखभाल केंद्र
राज्य सरकार ने सभी संगठनों को कार्यस्थलों पर चाइल्ड केयर सेंटर्स (शिशु देखभाल केंद्र) स्थापित करना अनिवार्य कर दिया है, ताकि कामकाजी माताओं को बच्चों की देखभाल में सहायता मिल सके। प्रत्येक स्कूली बच्चे के लिए 15,000 रुपये की राशि सीधे उसकी मां को प्रदान की जाएगी। यह सहायता शिक्षा को बढ़ावा देने और परिवारों को आर्थिक सहारा देने के उद्देश्य से दी जा रही है।
दो-बच्चों की नीति को किया गया खत्म
राज्य में पहले पंचायत और नगरपालिका चुनावों में दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को अयोग्य माना जाता था। अब यह नीति रद्द कर दी गई है और अधिक बच्चों वाले परिवारों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। 2023 में सिक्किम सरकार ने स्वदेशी लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहन की घोषणा की थी। मिजोरम भी आदिवासी जोड़ों को दो से अधिक बच्चों के लिए प्रेरित कर रहा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी जनसंख्या-आधारित निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की संभावना के चलते जनसंख्या वृद्धि पर बल दिया है।