नई दिल्ली: कर्नाटक के हुबली में प्यार का प्रस्ताव ठुकराने से नाराज लड़के ने एक लड़की की हत्या कर दी। 15 मई को 21 साल की अंजली अंबीगेरा ने 23 साल के लड़के विश्वा उर्फ गिरीश सावंत को प्रपोजल ठुकरा दिया था, जिसके बाद विश्वा ने अंजली के घर में घुसकर चाकू से गोद-गोदकर मार डाला। उसके खिलाफ IPC की धारा 302 के तहत मर्डर का केस दर्ज हुआ है। इससे पहले कर्नाटक में ही कांग्रेस पार्षद निरंजन हिरेमथ की बेटी नेहा की 18 अप्रैल को फैज खोंडुनाइक नाम के आरोपी ने चाकू मारकर हत्या कर दी थी। नेहा के प्रपोजल ठुकराए जाने से नाराज फैज ने कॉलेज कैंपस में 7 बार चाकू से वार किया था। आज समझते हैं कि क्या है यह खूनी सोच जो खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है।
हॉर्मोन की वजह से बन जाता है इश्क में निकम्मा
किशोरावस्था की उम्र से लेकर 22-23 साल की उम्र तक हॉर्मोनल बदलाव चलते रहते हैं। इस दौरान लड़के या लड़की में यौन आकर्षण और किसी के इश्क में निकम्मा बनने तक के लक्षण देखे जा सकते हैं। लड़कों में टेस्टोस्टेरॉन तो लड़कियों में एस्ट्रोजन हॉर्मोन एक-दूसरे के प्रति चाहत पैदा करते हैं। वहीं ऑक्सीटोसिन और वैसोप्रेसिन हॉर्मोन किसी से लगाव और भावनात्मक रिश्ते को मजबूत बनाता है। किशोरावस्था में लड़कियों में छह गुना ज्यादा एस्ट्रोजन तो लड़कों में 20 गुना ज्यादा टेस्टोस्टेरॉन रिलीज होता है।

चाहत के दौरान आंखें मूंद लेता है दिमाग
लंदन में यूनिवर्सिटी कॉलेज के ब्रेन साइंटिस्ट ने टीनएज डेटिंग के दौरान ब्रेन में होने वाले बदलाव को लेकर अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि डेटिंग के समय लड़के या लड़की के दिमाग के चार अलग-अलग हिस्से एक्टिव हो जाते हैं। हालांकि इस उम्र के लड़के-लड़कियों में हर चीज में वजह तलाशने वाला दिमाग का हिस्सा यानी प्रिफ्रंटल कॉर्टेक्स एक्टिव नहीं रहता।
कोकीन जितना खतरनाक होता है इश्क का नशा
साइकोलॉजी टुडे के अनुसार, प्यार या आकर्षण के दौरान सोच से ज्यादा भावनाएं व्यक्ति पर हावी रहती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है, इश्क का नशा कोकीन के नशे के बराबर होता है, जिसमें कुछ और नहीं सूझता। इस दौरान ब्रेन में रिलीज होने वाले हॉर्मोन जैसे खुशी देने वाले डोपामाइन, तेजी से प्रतिक्रिया देने वाले नॉरपाइनएफ्रिन और मूड बनाने वाले सेरोटोनिन किसी को भी प्यार में अंधा बना देते हैं।

20 फीसदी लड़कियों को सहनी पड़ती है मारपीट
अमेरिका की सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की 2021 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 20 फीसदी टीनएज लड़कियों ने बताया कि उन्हें हिंसक सेक्शुअल बिहेवियर का सामना करना पड़ा। हर 10 में से 1 लड़की से रेप भी हुआ। 20 फीसदी लड़कियों से उनके पार्टनर मारपीट करते हैं। भावनात्मक चोट तो आम बात है। करीब 80 फीसदी के साथ गाली-गलौज, भला-बुरा, तंज और सबके सामने जलील जैसी बातें भी होती हैं।
अनचाही यौन हरकतें, गाली-गलौज सहना पड़ता
2008 में मलफोर्ड और गियार्डनों की एक रिसर्च के मुताबिक, कुछ पार्टनर रोमांटिक रिलेशनशिप की शुरुआत से पहले अनचाही यौन हरकतें करते हैं। हिंसक बर्ताव भी करते दिखते हैं। ऐसे में नए बने पार्टनर को गाली-गलौज और मारपीट तक झेलनी पड़ती है। यह बर्ताव लड़कियों के मुकाबले लड़कों में ज्यादा देखा जाता है। इसमें पार्टनर का बात-बात पर अपमान करना, धमकाना और खिंचाई करना जैसी चीजें शामिल होती हैं।
प्यार ठुकराने पर प्राइवेट फोटो और वीडियो शेयर
इन दिनों ये सब चीजें ऑनलाइन हो रही हैं। पार्टनर की प्राइवेट फोटोज, वीडियो और जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर कर दी जाती हैं। यहां तक कि लड़के या लड़कियों में पार्टनर पर हक जताने का पजेसिव बर्ताव देखने को भी मिलता है।

पेरेंट्स को पता होना चाहिए बच्चों की दोस्ती
यूपी सरकार के साथ बाल अधिकारों पर काम करने वाली डॉ. अर्चना अग्निहोत्री कहती हैं कि किशोरावस्था में अगर कोई दोस्त बनता है तो उनके बीच की रिलेशनशिप के बारे में उनके फ्रेंड्स और पेरेंट्स को भी पता होना चाहिए। इससे रिश्ता कई बार रिश्ता हिंसक मोड़ लेने से बचता है। गैर सरकारी संगठन समाधान अभियान की फाउंडर अर्चना अग्निहोत्री बताती है कि जब लड़की की पढ़ाई-लिखाई में गिरावट आए और उसके नंबर कम आने लगें तो समझिए कि वह अब्यूजिव रिलेशनशिप में है। वह बातें कम करे या नजरें चुराए तो भी अलर्ट होने की जरूरत है।
इन बातों से समझें खतरा, हो जाएं अलर्ट
अर्चना अग्निहोत्री कहती हैं कि अगर कोई लड़का या लड़की अपने पार्टनर के आने-जाने पर नजर रखे और किसी से मिलने-जुलने पर बहुत पूछताछ करे तो यहां उसे अलर्ट हो जाना चाहिए। पार्टनर की यह इच्छा होती है कि उसका पार्टनर हमेशा उसकी नजरों के सामने रहे। वह बार-बार गुस्सा दिखाएगा। फोन का जवाब नहीं देने पर मारपीट कर सकता है।

कैसे पहचानें कि खतरा सामने है, पुलिस से लें मदद
जर्नल द माइंड्स के अनुसार, कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो अपनी चाहत को पाने के लिए कुछ भी कर गुजरने की हसरत रखते हैं। ऐसे में अगर किसी से दोस्ती होती है और वह आपसे दोस्ती से आगे बढ़कर प्यार की बात कर सकता है। आप पर दावा जताने लग सकता है। ऐसे में बहुत ही सावधानी से इस समस्या से निकलें। बहसबाजी या लड़े-झगड़े नहीं। अपने माता-पिता और दोस्तों को इस समस्या के बारे में जरूर बताएं। अगर कोई ज्यादती कर रहा है जैसेकि बार-बार रास्ता रोकता हो, या अचानक आपके सामने रोने लगता हो या फिर आपको जान से मारने की धमकी देता हो तो फौरन अलर्ट हो जाएं और पुलिस के पास जाएं।
हॉर्मोन की वजह से बन जाता है इश्क में निकम्मा
किशोरावस्था की उम्र से लेकर 22-23 साल की उम्र तक हॉर्मोनल बदलाव चलते रहते हैं। इस दौरान लड़के या लड़की में यौन आकर्षण और किसी के इश्क में निकम्मा बनने तक के लक्षण देखे जा सकते हैं। लड़कों में टेस्टोस्टेरॉन तो लड़कियों में एस्ट्रोजन हॉर्मोन एक-दूसरे के प्रति चाहत पैदा करते हैं। वहीं ऑक्सीटोसिन और वैसोप्रेसिन हॉर्मोन किसी से लगाव और भावनात्मक रिश्ते को मजबूत बनाता है। किशोरावस्था में लड़कियों में छह गुना ज्यादा एस्ट्रोजन तो लड़कों में 20 गुना ज्यादा टेस्टोस्टेरॉन रिलीज होता है।
चाहत के दौरान आंखें मूंद लेता है दिमाग
लंदन में यूनिवर्सिटी कॉलेज के ब्रेन साइंटिस्ट ने टीनएज डेटिंग के दौरान ब्रेन में होने वाले बदलाव को लेकर अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि डेटिंग के समय लड़के या लड़की के दिमाग के चार अलग-अलग हिस्से एक्टिव हो जाते हैं। हालांकि इस उम्र के लड़के-लड़कियों में हर चीज में वजह तलाशने वाला दिमाग का हिस्सा यानी प्रिफ्रंटल कॉर्टेक्स एक्टिव नहीं रहता।22-23 की उम्र के बाद तार्किक दिमाग एक्टिव
यह 22-23 की उम्र के बाद ही एक्टिव होता है। जब कम उम्र में हम प्यार में पड़ते हैं तो हमारा दिमाग तार्किक ब्रेन का इस्तेमाल नहीं करता और न ही भावनाओं पर काबू रखता है। ऐसे में पार्टनर की सोच कई बार खूनी अंजाम तक पहुंच जाती है।कोकीन जितना खतरनाक होता है इश्क का नशा
साइकोलॉजी टुडे के अनुसार, प्यार या आकर्षण के दौरान सोच से ज्यादा भावनाएं व्यक्ति पर हावी रहती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है, इश्क का नशा कोकीन के नशे के बराबर होता है, जिसमें कुछ और नहीं सूझता। इस दौरान ब्रेन में रिलीज होने वाले हॉर्मोन जैसे खुशी देने वाले डोपामाइन, तेजी से प्रतिक्रिया देने वाले नॉरपाइनएफ्रिन और मूड बनाने वाले सेरोटोनिन किसी को भी प्यार में अंधा बना देते हैं।
20 फीसदी लड़कियों को सहनी पड़ती है मारपीट
अमेरिका की सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की 2021 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 20 फीसदी टीनएज लड़कियों ने बताया कि उन्हें हिंसक सेक्शुअल बिहेवियर का सामना करना पड़ा। हर 10 में से 1 लड़की से रेप भी हुआ। 20 फीसदी लड़कियों से उनके पार्टनर मारपीट करते हैं। भावनात्मक चोट तो आम बात है। करीब 80 फीसदी के साथ गाली-गलौज, भला-बुरा, तंज और सबके सामने जलील जैसी बातें भी होती हैं।अनचाही यौन हरकतें, गाली-गलौज सहना पड़ता
2008 में मलफोर्ड और गियार्डनों की एक रिसर्च के मुताबिक, कुछ पार्टनर रोमांटिक रिलेशनशिप की शुरुआत से पहले अनचाही यौन हरकतें करते हैं। हिंसक बर्ताव भी करते दिखते हैं। ऐसे में नए बने पार्टनर को गाली-गलौज और मारपीट तक झेलनी पड़ती है। यह बर्ताव लड़कियों के मुकाबले लड़कों में ज्यादा देखा जाता है। इसमें पार्टनर का बात-बात पर अपमान करना, धमकाना और खिंचाई करना जैसी चीजें शामिल होती हैं।प्यार ठुकराने पर प्राइवेट फोटो और वीडियो शेयर
इन दिनों ये सब चीजें ऑनलाइन हो रही हैं। पार्टनर की प्राइवेट फोटोज, वीडियो और जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर कर दी जाती हैं। यहां तक कि लड़के या लड़कियों में पार्टनर पर हक जताने का पजेसिव बर्ताव देखने को भी मिलता है।
पेरेंट्स को पता होना चाहिए बच्चों की दोस्ती
यूपी सरकार के साथ बाल अधिकारों पर काम करने वाली डॉ. अर्चना अग्निहोत्री कहती हैं कि किशोरावस्था में अगर कोई दोस्त बनता है तो उनके बीच की रिलेशनशिप के बारे में उनके फ्रेंड्स और पेरेंट्स को भी पता होना चाहिए। इससे रिश्ता कई बार रिश्ता हिंसक मोड़ लेने से बचता है। गैर सरकारी संगठन समाधान अभियान की फाउंडर अर्चना अग्निहोत्री बताती है कि जब लड़की की पढ़ाई-लिखाई में गिरावट आए और उसके नंबर कम आने लगें तो समझिए कि वह अब्यूजिव रिलेशनशिप में है। वह बातें कम करे या नजरें चुराए तो भी अलर्ट होने की जरूरत है।इन बातों से समझें खतरा, हो जाएं अलर्ट
अर्चना अग्निहोत्री कहती हैं कि अगर कोई लड़का या लड़की अपने पार्टनर के आने-जाने पर नजर रखे और किसी से मिलने-जुलने पर बहुत पूछताछ करे तो यहां उसे अलर्ट हो जाना चाहिए। पार्टनर की यह इच्छा होती है कि उसका पार्टनर हमेशा उसकी नजरों के सामने रहे। वह बार-बार गुस्सा दिखाएगा। फोन का जवाब नहीं देने पर मारपीट कर सकता है।