नई दिल्ली: दुनिया का सबसे बड़ा कंटेनर जहाज MSC IRINA विझिंजम बंदरगाह पर पहुंचा है। केरल के विझिंजम बंदरगाह पर दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाज का आगमन भारत के समुद्री व्यापार के लिए एक बड़ी खबर है। यह दिखाता है कि विझिंजम बंदरगाह अब बड़े जहाजों को संभालने के लिए तैयार है। इस जहाज की क्षमता 24,346 TEU है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 मई 2025 को इस बंदरगाह को देश को समर्पित किया था। विझिंजम बंदगाह पर MSC IRINA का पहुंचना महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। केरल स्टीमर एजेंट्स एसोसिएशन के प्रबंध समिति के सदस्य बिनु केएस ने कहा कि यह जहाज यूरोप के वालेंसिया, बार्सिलोना और जियोइआ टाउरो जैसे बंदरगाहों से सीधा संपर्क प्रदान करता है। इससे चीन से आयात और यूरोप को निर्यात की लागत और समय कम होगा। विझिंजम भारत का पहला डीप-वॉटर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट है। अडानी पोर्ट्स इसे चलाती है।
MSC IRINA का विझिंजम बंदरगाह पर आना भारत के लिए गेम-चेंजर है। यह देश के समुद्री व्यापार को बढ़ावा देगा और इसे ग्लोबल लॉजिस्टिक्स श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा। विझिंजम पोर्ट पर MSC IRINA का पहुंचना भारत के लिए ऐतिहासिक पल है। यह भारत के समुद्री व्यापार और लॉजिस्टिक्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे पता चलता है कि विझिंजम पोर्ट अब अल्ट्रा-लार्ज कंटेनर वेसल्स (ULCVs) को भी संभाल सकता है। MSC IRINA दुनिया का सबसे बड़ा कंटेनर जहाज है। इसकी क्षमता 24,346 TEU (ट्वेंटी-फुट इक्वेलेंट यूनिट) है। यह जहाज विझिंजम इंटरनेशनल सीपोर्ट पर आया। TEU कंटेनर की क्षमता को मापने का एक तरीका है। यह जहाज लगभग 400 मीटर लंबा और 61.3 मीटर चौड़ा है। इसकी लंबाई एक फुटबॉल के मैदान से लगभग चार गुना ज्यादा है। यह जहाज 26 टियर तक कंटेनर रख सकता है। इसका मतलब है कि यह बहुत सारे कंटेनर ले जा सकता है।
यह जहाज लिबेरिया के झंडे के नीचे चलता है। इसका निर्माण 2023 में हुआ था। इसे MSC (मेडिटेरेनियन शिपिंग कंपनी S.A.) चलाती है। यह दुनिया की सबसे बड़ी कंटेनर शिपिंग कंपनियों में से एक है। यह जहाज पर्यावरण के अनुकूल भी है। इसमें ऊर्जा बचाने वाली तकनीकें हैं। इससे कार्बन उत्सर्जन 4% तक कम होता है।
भारत का पहला डीप-वॉटर ट्रांसशिपमेंट कंटेनर टर्मिनल
विझिंजम बंदरगाह केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में है। इसे अडानी पोर्ट्स एंड SEZ लिमिटेड (APSEZ) चलाती है। यह भारत का पहला डीप-वॉटर ट्रांसशिपमेंट कंटेनर टर्मिनल है। इसका मतलब है कि यह गहरे पानी वाला बंदरगाह है और यहां जहाजों से सामान उतारा और चढ़ाया जा सकता है। यह 20,000 TEU से अधिक क्षमता वाले जहाजों को भी संभाल सकता है। इस बंदरगाह की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी प्राकृतिक गहराई लगभग 20 मीटर है। इसलिए, यहां बड़े जहाजों को आसानी से लाया जा सकता है।
यह बंदरगाह अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्ग से सिर्फ 10 नॉटिकल मील की दूरी पर है। यह यूरोप, फारस की खाड़ी, दक्षिण पूर्व एशिया और सुदूर पूर्व को जोड़ने वाले व्यस्त शिपिंग मार्गों के पास है।
चीन की 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' रणनीति का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में बंदरगाहों और नौसैनिक सुविधाओं के माध्यम से अपना प्रभाव बढ़ाना है (जैसे पाकिस्तान में ग्वादर और श्रीलंका में हंबनटोटा)। विझिंजम बंदरगाह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक संतुलन प्रदान करता है। यह अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों के बेहद करीब है, जो इसे हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण समुद्री केंद्र बनाता है। यह चीन के बढ़ते समुद्री दबदबे के खिलाफ भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।
MSC IRINA का विझिंजम बंदरगाह पर आना भारत के लिए गेम-चेंजर है। यह देश के समुद्री व्यापार को बढ़ावा देगा और इसे ग्लोबल लॉजिस्टिक्स श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा। विझिंजम पोर्ट पर MSC IRINA का पहुंचना भारत के लिए ऐतिहासिक पल है। यह भारत के समुद्री व्यापार और लॉजिस्टिक्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे पता चलता है कि विझिंजम पोर्ट अब अल्ट्रा-लार्ज कंटेनर वेसल्स (ULCVs) को भी संभाल सकता है। MSC IRINA दुनिया का सबसे बड़ा कंटेनर जहाज है। इसकी क्षमता 24,346 TEU (ट्वेंटी-फुट इक्वेलेंट यूनिट) है। यह जहाज विझिंजम इंटरनेशनल सीपोर्ट पर आया। TEU कंटेनर की क्षमता को मापने का एक तरीका है। यह जहाज लगभग 400 मीटर लंबा और 61.3 मीटर चौड़ा है। इसकी लंबाई एक फुटबॉल के मैदान से लगभग चार गुना ज्यादा है। यह जहाज 26 टियर तक कंटेनर रख सकता है। इसका मतलब है कि यह बहुत सारे कंटेनर ले जा सकता है।
यह जहाज लिबेरिया के झंडे के नीचे चलता है। इसका निर्माण 2023 में हुआ था। इसे MSC (मेडिटेरेनियन शिपिंग कंपनी S.A.) चलाती है। यह दुनिया की सबसे बड़ी कंटेनर शिपिंग कंपनियों में से एक है। यह जहाज पर्यावरण के अनुकूल भी है। इसमें ऊर्जा बचाने वाली तकनीकें हैं। इससे कार्बन उत्सर्जन 4% तक कम होता है।
भारत का पहला डीप-वॉटर ट्रांसशिपमेंट कंटेनर टर्मिनल
विझिंजम बंदरगाह केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में है। इसे अडानी पोर्ट्स एंड SEZ लिमिटेड (APSEZ) चलाती है। यह भारत का पहला डीप-वॉटर ट्रांसशिपमेंट कंटेनर टर्मिनल है। इसका मतलब है कि यह गहरे पानी वाला बंदरगाह है और यहां जहाजों से सामान उतारा और चढ़ाया जा सकता है। यह 20,000 TEU से अधिक क्षमता वाले जहाजों को भी संभाल सकता है। इस बंदरगाह की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी प्राकृतिक गहराई लगभग 20 मीटर है। इसलिए, यहां बड़े जहाजों को आसानी से लाया जा सकता है।यह बंदरगाह अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्ग से सिर्फ 10 नॉटिकल मील की दूरी पर है। यह यूरोप, फारस की खाड़ी, दक्षिण पूर्व एशिया और सुदूर पूर्व को जोड़ने वाले व्यस्त शिपिंग मार्गों के पास है।
क्यों बढ़ेगी चीन की टेंशन?
वर्तमान में, भारत का लगभग 75% ट्रांसशिपमेंट कार्गो श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह, सिंगापुर और दुबई जैसे विदेशी बंदरगाहों से होकर गुजरता है। इन बंदरगाहों में चीन की कंपनियों का या तो बड़ा निवेश है या उनका मजबूत परिचालन प्रभाव है (जैसे कोलंबो का हंबनटोटा बंदरगाह)। विझिंजम के शुरू होने से भारत की इस विदेशी निर्भरता में कमी आएगी। जब बड़े जहाज सीधे विझिंजम आएंगे तो भारतीय कार्गो को अब विदेशी बंदरगाहों पर दोबारा लोड करने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे चीन की मध्यस्थता और प्रभाव कम होगा।चीन की 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' रणनीति का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में बंदरगाहों और नौसैनिक सुविधाओं के माध्यम से अपना प्रभाव बढ़ाना है (जैसे पाकिस्तान में ग्वादर और श्रीलंका में हंबनटोटा)। विझिंजम बंदरगाह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक संतुलन प्रदान करता है। यह अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों के बेहद करीब है, जो इसे हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण समुद्री केंद्र बनाता है। यह चीन के बढ़ते समुद्री दबदबे के खिलाफ भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।