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खत्म हुआ दो साल का इंतजार... HAL को अमेरिका से मिला तेजस मार्क-1ए के लिए पहला इंजन

Reported by: Rajat PanditEdited by: अनिल कुमार|टाइम्स न्यूज नेटवर्क

अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ने दो साल की देरी के बाद तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों के लिए पहले अनुबंधित इंजन को तैयार कर दिया है। एचएएल को अब 99 इंजनों का वितरण तेज करना होगा। भारतीय वायुसेना प्रमुख ने उत्पादन में देरी और कम फाइटर प्लेन की संख्या पर चिंता जताई है।

tejas fighter
(फोटो- नवभारतटाइम्स.कॉम)
नई दिल्ली : अमेरिकी प्रमुख कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) ने करीब दो साल की देरी के बाद आखिरकार तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों के लिए 99 अनुबंधित इंजनों में से पहला इंजन तैयार कर दे दिया है। ऐसे में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से इस बहुप्रतीक्षित स्वदेशी जेट के उत्पादन में तेजी लाने की उम्मीद है।

40 फाइटर प्लेन की जरूरत

एचएएल को निश्चित रूप से प्रोडक्शन से जुड़े अन्य मुद्दों को भी हल करना होगा। जैसे सिंगल इंजन वाले तेजस मार्क-1ए से एस्ट्रा एयर-टू-एयर मिसाइल का लंबित टेस्ट और कुछ महत्वपूर्ण प्रणालियों का इंटीग्रेशन शामिल है। इस वजह से ही प्रोडक्शन में देरी हुई है। हाल के हफ्तों में भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने सार्वजनिक रूप से रक्षा पीएसयू पर निशाना साधा था। इसमें कहा गया है था कि फाइटर प्लेन की संख्या कम है। ऐसे में युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए हर साल कम से कम 40 लड़ाकू विमानों को शामिल करने की जरूरत है।

हर साल मिलेंगे 20 इंजन

टीओआई ने पहले बताया था कि 99 एफ-404 टर्बोफैन इंजनों में से पहला इंजन मार्च में आएगा। इसे एचएएल ने अगस्त 2021 में 5,375 करोड़ रुपये में कॉन्ट्रैक्ट किया था। इसमें जीई ने पहले साल में 12 इंजन और उसके बाद हर साल 20 इंजन देने का वादा किया है। जीई एयरोस्पेस ने बुधवार को घोषणा की कि उसने एचएएल को पहला इंजन दे दिया है, जिसके लिए एफ-404 उत्पादन लाइन को फिर से शुरू करने का “जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य” करना होगा।

इसकी वजह है कि यह पांच साल तक निष्क्रिय रही थी और इसके लिए ग्लोबल सप्लाई चेन से फिर से जुड़ना होगा। एचएएल का दावा है कि वह धीरे-धीरे उत्पादन को बढ़ाकर 20 तेजस प्रति वर्ष और फिर 24 प्रति वर्ष कर सकता है। इसमें बेंगलुरू में दो मौजूदा उत्पादन लाइनों के अलावा नासिक में तीसरी उत्पादन लाइन भी शामिल है।
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