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भारत को ये 5 झटके दे सकता है इजरायल और ईरान का तनाव, आम आदमी से लेकर सरकार तक पर पड़ेगा असर

Crude Oil Price Impact: इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष के बीच कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आ रहा है। अगर कीमतें और बढ़ीं तो भारत में भी इसका असर दिखाई दे सकता है।

Curated by: राजेश भारतीUpdated: |नवभारतटाइम्स.कॉम
नई दिल्ली: इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष के कारण ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे हैं। अगर यह बढ़ोतरी कुछ समय के लिए नहीं रही, तो कुछ कंपनियों को नुकसान हो सकता है। खासकर उन कंपनियों को जो कच्चे तेल से सामान बनाती हैं या उससे जुड़े सामान का इस्तेमाल करती हैं।
Crude Oil Price Impact
कच्चे तेल की बढ़ती कीमत का असर (फोटो- नवभारतटाइम्स.कॉम)

कच्चे तेल की बढ़ती कीमत का भारत में भी असर दिखाई दे सकता है। कच्चा तेल रिफाइन करने वाली, पेंट बनाने वाली, हवाई जहाज, गाड़ियां, पेट्रोकेमिकल और खाद बनाने वाली कंपनियों पर इसका असर पड़ सकता है। हालांकि तेल निकालने वाली कंपनियों और इलेक्ट्रिक गाड़ियां (EV) बनाने वाली कंपनियों को फायदा हो सकता है। यह सरकार की नीतियों पर निर्भर करेगा।
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कितना पहुंचा भाव?

ब्रेंट क्रूड का वायदा भाव शुक्रवार को 7% बढ़कर 74.23 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। एक समय तो यह 13% से ज्यादा बढ़कर 78.50 डॉलर तक चला गया था। इजरायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ने से तेल सप्लाई में दिक्कत आने की आशंका है। इसलिए एनर्जी मार्केट में डर का माहौल है।

भारत अपनी जरूरत का 85% से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदता है। ऐसे में तेल की कीमतें बढ़ने से महंगाई बढ़ सकती है। हालांकि, इसका असली असर इस बात पर निर्भर करेगा कि कीमतें कितने समय तक बढ़ी रहती हैं।

ये 5 झटके लग सकते हैं भारत को

1. महंगे हो सकते हैं तेल और गैस
ओएनजीसी और ऑयल इंडिया जैसी कंपनियां घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल को ग्लोबल बेंचमार्क से जुड़ी कीमतों पर बेचती हैं। तेल की कीमतें बढ़ने से उनकी कमाई बढ़ सकती है। हालांकि, इसका असर उनकी आय और मुनाफे पर सरकार के रुख पर निर्भर करेगा। अगर कंपनियों को नुकसान होता है तो वह तेल और गैस की कीमतें बढ़ा सकती हैं। इसका असर आम लोगों पर पड़ेगा।

2. हवाई सफर के लिए ज्यादा पैसे
हवाई जहाज में इस्तेमाल होने वाला ईंधन (ATF) कच्चे तेल से बनता है। यह एक एयरलाइन के खर्च का एक तिहाई से ज्यादा होता है। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से ईंधन का खर्च बढ़ जाएगा, जिससे एयरलाइंस के मुनाफे पर दबाव पड़ेगा। एयरलाइंस किराए बढ़ाकर इसकी भरपाई करने की कोशिश कर सकती हैं। इसका असर यात्रियों पर पड़ेगा और उन्हें टिकट के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी।

3. पेंट कंपनियों का मुनाफा होगा कम
एशियन पेंट्स, बर्जर पेंट्स और कंसाई नेरोलैक जैसी पेंट कंपनियां कच्चे तेल से बनने वाले सॉल्वैंट्स और रेजिन पर निर्भर करती हैं। ये उनकी कुल लागत का लगभग 50% होता है। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से कंपनियों को रिटेल कीमतें बढ़ानी पड़ सकती हैं, जिससे डिमांड और मार्केट ग्रोथ पर असर पड़ सकता है।

4. इन्हें कच्चे माल की दिक्कत
नेफ्था, इथेन, प्रोपेन और अन्य कच्चे तेल के डेरिवेटिव प्लास्टिक, सिंथेटिक फाइबर, सॉल्वैंट्स और कई तरह के केमिकल्स बनाने के लिए जरूरी हैं। कच्चे माल की लागत केमिकल और पेट्रोकेमिकल कंपनियों की कुल आय का लगभग आधा होती है। अगर कच्चे तेल की कीमतें लंबे समय तक बढ़ी रहती हैं तो पिडिलाइट, एसआरएफ, आरती इंडस्ट्रीज और दीपक नाइट्राइट जैसी कंपनियों को कच्चे माल की लागत में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ेगा।

5. सरकार पर बोझ
नाइट्रोजन-आधारित उर्वरकों, खासकर यूरिया और अमोनिया के उत्पादन के लिए प्राकृतिक गैस और तेल की जरूरत होती है। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से LNG (लिक्विफाइड नेचुरल गैस) की कीमतें भी बढ़ जाती हैं, जिससे उर्वरक का उत्पादन महंगा हो जाता है। इससे रिटेल कीमतें बढ़ सकती हैं और सरकार पर सब्सिडी का बोझ बढ़ सकता है।
लेखक के बारे में
राजेश भारती
राजेश भारती, नवभारतटाइम्स ऑनलाइन में असिस्टेंट न्यूज़ एडिटर के तौर पर बिजनेस की खबरों को कवर करते हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 15 वर्षों का अनुभव है। इससे पहले वह नवभारत टाइम्स अखबार में 5 साल से ज्यादा काम कर चुके हैं। वहां राजेश भारती ने विभिन्न विषयों जैसे- पर्सनल फाइनेंस, इंश्योरेंस, शेयर मार्केट, टेक, गैजेट्स, हेल्थ, एजुकेशन आदि पर फीचर स्टोरी लिखी हैं। नवभारत टाइम्स अखबार में काम करने से पहले इन्होंने दैनिक भास्कर, लोकमत जैसे अखबारों में रिपोर्टिंग और डेस्क, दोनों जगह काम किया है। राजेश भारती को ऑनलाइन के साथ प्रिंट का भी अनुभव है। वह भोपाल, इंदौर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र) और रायपुर में काम कर चुके हैं। औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में ऑल इंडिया रेडियो के लिए भी काम किया है।... और पढ़ें
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